एक अनायास मुलाकात


लियो हमेशा से ही शांत स्वभाव का लड़का था। 18 साल की उम्र में वह युवा वयस्कता की जटिलताओं से जूझ रहा था: स्कूल, दोस्त, और बड़े होने के साथ आने वाली भावनाओं का उलझन भरा तूफान। लेकिन एक चीज़ थी जो उसे अपने दोस्तों से अलग बनाती थी—उसका बड़े पुरुषों की तरफ आकर्षण।

अमन हमेशा से ही शांत स्वभाव का लड़का था। 18 साल की उम्र में, वह युवा वयस्कता की जटिलताओं से जूझ रहा था: कॉलेज, दोस्त, और बड़े होने के साथ आने वाले भावनाओं का उलझन भरा तूफान। लेकिन एक चीज़ थी जो उसे अपने दोस्तों से अलग बनाती थी—उसका बड़े पुरुषों की तरफ आकर्षण।

यह ऐसी बात नहीं थी जिसके बारे में वह किसी से खुलकर बात करता। पर कभी-कभी, कोई ऐसा व्यक्ति उसकी नजरों में आ जाता जो उसे खास महसूस कराता। हाल ही में ऐसा ही एक व्यक्ति था—उसके पड़ोसी, श्रीमान अय्यर। श्रीमान अय्यर लगभग 45 साल के थे, उनकी बालों में हल्की सफेदी झलकने लगी थी, और हमेशा अच्छे कपड़ों में रहते थे। उनका आत्मविश्वास और शांति भरा स्वभाव अमन को एक साथ डराने और आकर्षित करने वाला लगता था।

अमन अक्सर बहाने ढूंढता कि कैसे वह श्रीमान अय्यर के घर के पास से गुजरे। चाहे वह उनकी बगिया में काम कर रहे हों या सुबह की सैर पर निकले हों, अमन को उन्हें देखना अच्छा लगता था। आज भी ऐसा ही एक दिन था। दिल की धड़कनें तेज और हथेलियों में हल्का पसीना, वह उनके घर के पास से गुजरा

अमन धीरे-धीरे चलते हुए श्रीमान अय्यर के घर के पास से गुजरा। यह एक शांतिपूर्ण सुबह थी, और ठंडी हवा ने वातावरण को हल्का-सा सुकून भरा बना दिया था। जैसे ही वह घर के सामने से गुजरा, उसने देखा कि श्रीमान अय्यर अपने पोर्च पर बैठे थे, एक किताब पढ़ रहे थे। अमन की धड़कनें और तेज हो गईं।

वह आगे बढ़ने ही वाला था कि श्रीमान अय्यर की आवाज आई, "अमन, यहाँ आओ।"

अमन अचानक रुक गया और थोड़ी हिचकिचाहट के साथ उनकी ओर मुड़ा। "जी, अंकल?"

"यहाँ आओ, बैठो। मैं तुम्हें अक्सर यहाँ से गुजरते देखता हूँ," श्रीमान अय्यर ने मुस्कुराते हुए कहा। उनकी मुस्कान में कुछ ऐसा था जो अमन को सहज महसूस कराता था, भले ही वह अंदर से थोड़ी घबराहट महसूस कर रहा हो।

अमन धीरे-धीरे पोर्च पर गया और उनके पास रखी कुर्सी पर बैठ गया। कुछ पलों की चुप्पी के बाद, श्रीमान अय्यर ने बातचीत शुरू की, "कैसा चल रहा है कॉलेज? सब कुछ ठीक है?"

"हाँ अंकल, सब ठीक है," अमन ने जवाब दिया, अपने आप को सामान्य दिखाने की कोशिश करते हुए।

श्रीमान अय्यर ने उसे ध्यान से देखा और बोले, "तुम्हारी उम्र में कई सवाल होते हैं, और कभी-कभी हम उन्हें लेकर उलझन में पड़ जाते हैं। अगर कभी तुम्हें किसी से बात करने की ज़रूरत हो, तो मेरे पास आ सकते हो। मैं यहाँ हूँ।"

उनके शब्दों में एक अजीब-सी ईमानदारी थी, जिसने अमन को थोड़ा सहज महसूस कराया। वह हमेशा से ही श्रीमान अय्यर से प्रभावित था, लेकिन आज वह उन्हें एक अलग नज़रिए से देख रहा था।

श्रीमान अय्यर ने बातचीत को हल्का करने के लिए मुस्कुराते हुए पूछा, "वैसे, क्या तुमने क्रिकेट का कल का मैच देखा? क्या खेला हमारा विराट!"

अमन हंस पड़ा और दोनों क्रिकेट की बातों में खो गए। जैसे-जैसे समय बीता, अमन को महसूस हुआ कि उनके बीच का यह रिश्ता, जो अब तक उसके लिए एक आकर्षण मात्र था, धीरे-धीरे एक नई समझ और मित्रता में बदल रहा था।

श्रीमान अय्यर से वह जितनी बातें कर रहा था, उतना ही उसे समझ में आ रहा था कि जीवन में आकर्षण और भावनाएं कितनी जटिल हो सकती हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि इन सबके बीच, सम्मान और समझ हमेशा सबसे आगे होनी चाहिए।

अमन और श्रीमान अय्यर के बीच की बातचीत अब उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गई थी। अमन को अब बहाने ढूंढने की ज़रूरत नहीं थी; श्रीमान अय्यर खुद ही उसे देखकर बुला लेते। कभी-कभी वे किताबों के बारे में बातें करते, तो कभी क्रिकेट या जीवन के अनुभवों पर चर्चा होती। हर बार, अमन को लगता कि वह उनसे और भी ज्यादा जुड़ता जा रहा है, लेकिन फिर भी, वह अपनी भावनाओं को छुपाए रखता।

दूसरी तरफ, श्रीमान अय्यर भी इन मुलाकातों से अनजान नहीं थे। उन्हें भी अमन की मासूमियत और उसके साथ बिताए गए पल प्रिय लगने लगे थे। लेकिन उम्र के फासले और समाज के डर ने उन्हें भी अपनी भावनाओं को दबाए रखने के लिए मजबूर कर दिया था। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि अमन जैसा नौजवान उन्हें इस तरह से पसंद कर सकता है।

एक दिन, बारिश हो रही थी और अमन अपने रास्ते पर श्रीमान अय्यर के घर के पास से गुज़र रहा था। श्रीमान अय्यर ने उसे देखा और हाथ हिलाकर बुलाया, "अमन, आओ अंदर, बारिश में भीग जाओगे।"

अमन मुस्कुराते हुए उनके घर के अंदर गया। श्रीमान अय्यर ने उसे तौलिया दिया और बोले, "तुम्हें सच में बारिश में भीगने का शौक है या फिर बहाना है मुझसे मिलने का?"

अमन हंसा, लेकिन उसकी हंसी में हल्की सी झिझक थी। उसने जवाब दिया, "शायद दोनों, अंकल।"

श्रीमान अय्यर भी मुस्कुरा दिए, लेकिन अंदर ही अंदर वे भी असमंजस में थे। थोड़ी देर की चुप्पी के बाद, उन्होंने कहा, "अमन, मैं कुछ कहना चाहता हूँ, पर मैं नहीं जानता कि कैसे कहूं।"

अमन ने उन्हें ध्यान से देखा। उसकी दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं, शायद वे वही कहने जा रहे थे जिसे वह सुनना चाहता था। "क्या बात है, अंकल?" उसने धीरे से पूछा।

श्रीमान अय्यर ने गहरी सांस ली और बोले, "तुम्हारे साथ बिताया समय मुझे अच्छा लगता है। मैं नहीं जानता कि यह सही है या गलत, लेकिन... मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ।" उनकी आवाज़ में हल्की झिझक थी, मानो वे इस बात को कहने से डर रहे हों।

अमन कुछ पलों के लिए चुप हो गया, फिर उसने मुस्कुराते हुए कहा, "अंकल, मैं भी आपको पसंद करता हूँ... लेकिन मुझे भी डर था कि आप क्या सोचेंगे।"

दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए, और उन पलों में, सारी झिझकें और डर जैसे खत्म हो गए। उम्र का फासला और समाज के बंधन उनके बीच आ सकते थे, लेकिन जो सम्मान और समझ वे एक-दूसरे के लिए महसूस करते थे, वह उन सभी चीजों से ऊपर था।

बारिश की बूंदों की आवाज़ बैकग्राउंड में चल रही थी, लेकिन अब दोनों के दिलों में एक नई शुरुआत की उम्मीद जग चुकी थी।

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